स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जो कि भारत का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है SBI ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में वृद्धि की है। इस बढ़ोतरी के चलते SBI के ग्राहकों को अब अपनी EMI का अधिक भुगतान करना होगा। साथ ही जो ग्राहक नए लोन लेना चाहते हैं, उनके लिए भी लोन अधिक महंगा हो गया है। बैंक ने सभी प्रकार की लोन अवधि के लिए MCLR में 0.10% यानी 10 आधार अंकों की वृद्धि की है। यह वृद्धि विभिन्न प्रकार के लोन, जैसे कि कार लोन, पर्सनल आदि पर लागू होगी।
MCLR की बढ़ोतरी के मायने
भारतीय स्टेट बैंक ने हाल ही में 3 साल और ओवरनाइट दोनों तरह के लोन पर MCLR में बढ़ोतरी की है। जहां पहले 3 साल के लोन पर ब्याज दर 9% थी, अब यह बढ़कर 9.10% हो गई है। इसी तरह ओवरनाइट लोन पर ब्याज दर 8.10% से बढ़कर 8.20% हो गई है। यह साल में दूसरी बार है जब SBI ने MCLR में इजाफा किया है। इससे पहले जून 2024 में भी बैंक ने लगभग 30 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की थी। लगातार बढ़ती MCLR दरों का सीधा असर ग्राहकों के EMI पर पड़ता है।
MCLR क्या होता है ?
MCLR वह दर है जिस पर बैंक लोन देने के लिए न्यूनतम लागत को ध्यान में रखता है। यह लागत बैंक द्वारा उधार ली गई फंड की मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित होती है। MCLR की गणना में कई फैक्टर्स शामिल होते हैं जैसे कि फंड की लागत, बैंक के संचालन की लागत, लोन की अवधि, और उस पर पड़ने वाले प्रीमियम या नकारात्मक प्रभावों का असर।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
MCLR में इस वृद्धि का सीधा प्रभाव उन ग्राहकों पर पड़ेगा जिन्होंने फ्लोटिंग रेट लोन ले रखे हैं। इसका अर्थ है कि अगर आपने घर, कार या किसी अन्य उद्देश्य के लिए लोन लिया है, तो आपकी मासिक किस्त (EMI) बढ़ सकती है। साथ ही, नए लोन लेने वालों को भी अब अधिक ब्याज दर चुकानी पड़ सकती है।
इस परिवर्तन का मुख्य कारण आर्थिक परिस्थितियाँ और बाज़ार की डायनामिक्स हो सकते हैं, जिनका समय-समय पर विश्लेषण करना बैंक के लिए आवश्यक होता है। यह दर्शाता है कि SBI अपनी लेंडिंग पॉलिसी को बाज़ार की स्थिति के अनुरूप ढालने का प्रयास कर रहा है।