Home Loan: होम लोन लेने से पहले ये 10 चीजें ज़रूर जान लें

होम लोन लेना एक बड़ा फैसला है, लेकिन सही जानकारी और योजना के साथ आप अपने सपनों का घर आसानी से खरीद सकते हैं. इस लेख में हमने होम लोन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की है.

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By Turant Loan

Home Loan: होम लोन लेने से पहले ये 10 चीजें ज़रूर जान लें
Home Loan: होम लोन लेने से पहले ये 10 चीजें ज़रूर जान लें

हर व्यक्ति का अपने जीवन में सपना होता है कि उसका अपना घर हो. घर छोटा हो या बड़ा, लेकिन उसे बनाने के लिए कई तरह की योजना बनानी होती है. ज्यादातर लोग घर बनाने या खरीदने के लिए होम लोन लेते है. यदि आप भी होम लोन लेने की सोच रहे हैं तो कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना होगा ताकि लोन लेते समय आपको किसी तरह की परेशानी न हो. Home Loan लेना एक बड़ा फैसला है इसलिए आवेदन करने से पहले दस महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

होम लोन के लिए पात्रता की शर्तें

होम लोन लेने से पहले आपको यह देखना होगा कि आप लोन लेने के लिए योग्य है भी या नहीं. कोई भी बैंक आपकी आय, लोन चुकाने की क्षमता, आयु, योग्यता, वित्तीय स्थिति, परिवार के सदस्यों की संख्या, जीवनसाथी की आय और नौकरी की स्थिरता जैसे कारकों का देखकर तय करता है कि आपको लोन देना चाहिए या नहीं. होम लोन लेने के लिए आवेदक की आयु 21 साल या उससे अधिक होनी चाहिए।

होम लोन के प्रकार

होम लोन कई तरह के होते हैं। फिक्स्ड रेट लोन में ब्याज दर पूरी लोन अवधि के लिए एक जैसी रहती है, जबकि फ्लोटिंग रेट लोन में ब्याज दर बैंक की बेंचमार्क दर के अनुसार बदलती रहती है। कॉम्बिनेशन लोन इन दोनों का मिश्रण होता है, जिसमें कुछ हिस्सा फिक्स्ड रेट पर और कुछ फ्लोटिंग रेट पर होता है।

कौन सा लोन आपके लिए सबसे अच्छा है, यह आपकी आय, खर्च, और भविष्य की योजनाओं पर निर्भर करता है।

घर पहले या लोन पहले?

सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि आप घर पहले चुनेंगे या लोन पहले। ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि होम लोन का प्री-अप्रूवल लेना बहुत अच्छा है। प्री-अप्रूवल से आपको यह पता चल जाता है कि आप कितने का घर खरीद सकते हैं और अपने बजट के अनुसार घर बनाते है.  इसके अलावा, प्री-अप्रूवल होने से आप घर खरीदते समय बेहतर मोलभाव कर सकते हैं और डील को जल्दी फाइनल कर सकते हैं। कई बार लेंडर कुछ खास प्रॉपर्टीज को पहले से ही अप्रूव कर देते हैं। ऐसी प्रॉपर्टीज खरीदने पर आपको कई फायदे मिल सकते हैं जैसे कि कम डॉक्यूमेंट्स और प्रोजेक्ट की क्वालिटी का भरोसा।

होम लोन की राशि

ज्यादातर बैंक संपत्ति की कीमत के 75% से 90% तक का होम लोन लेते हैं. यह राशि नियमों के अनुसार तय की जाती है और आपकी क्रेडिट योग्यता पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए: अगर आप 50 लाख रुपए की प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं और बैंक ने संपत्ति का मूल्यांकन ₹50 लाख ही किया है, तो आप अधिकतम ₹40 लाख तक का लोन ले सकते हैं (यदि बैंक आपको ₹75 लाख तक का लोन देने को तैयार है)। बाकी के ₹10 लाख आपको अपनी जेब से देने होंगे।

अगर आप कोई को-एप्लीकेंट जोड़ते हैं, जैसे आपका जीवनसाथी, माता-पिता या संतान, तो बैंक उनकी आय भी ध्यान में रखकर लोन की राशि बढ़ा सकता है। को-एप्लीकेंट की आय से आपकी क्रेडिट योग्यता बढ़ जाती है और आप अधिक लोन लेने के योग्य हो सकते हैं।

आपके होम लोन की लागत

जब भी आप होम लोन ले तो केवल ब्याज दर पर ध्यान ने दे, बल्कि अन्य शुल्कों पर भी ध्यान दें। इन शुल्कों में प्रोसेसिंग फीस, प्रशासनिक शुल्क और प्रीपेमेंट पेनल्टी शामिल हैं। यदि आप फ्लोटिंग रेट लोन ले रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि प्रीपेमेंट पेनल्टी न हो या बहुत कम हो। इसके अलावा यह भी देखें कि क्या आप कम ब्याज दर के लिए अतिरिक्त भुगतान कर सकते हैं। ध्यान रखें कि कुछ लेंडर छिपे हुए शुल्क लगा सकते हैं, इसलिए लोन एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें और लेंडर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी को जांचें।

EMI और प्री-EMI

EMI का मतलब है समान मासिक किस्त। जब आप कोई लोन लेते हैं, तो आपको हर महीने एक निश्चित राशि बैंक को चुकानी होती है, जिसे EMI कहते हैं। इसमें लोन की राशि उस पर लगने वाला ब्याज दोनों शामिल होता है। अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं जो अभी बन रही है, तो आपको प्री-EMI का भुगतान करना होता है।

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प्री-ईएमआई में आप डेवलपर को नियमित किस्तें देते हैं और बदले में आपको लोन की राशि हिस्सों में मिलती रहती है। इस अवधि के दौरान आपको केवल उस लोन की राशि पर ब्याज का भुगतान करना होता है जो आपको मिली है, इसे प्री-EMI ब्याज कहते हैं। अगर आप चाहते हैं कि लोन राशि की कुल कीमत का भुगतान भी जल्दी शुरू हो जाए, तो आप लोन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट सकते हैं और हर हिस्से पर अलग से ईएमआई देना शुरू कर सकते हैं।

होम लोन की अवधि और EMI

ज्यादातर होम लोन 30 साल तक के लिए लिए जा सकते हैं, हालांकि यह ग्राहक की योग्यता पर निर्भर करता है। लोन की समय सीमा बढ़ाने से EMI कम हो जाती है। माना आप 10 लाख रुपए का होम लोन 10.40% की ब्याज दर पर लेते हैं। अगर आप इस लोन को 20 साल में चुकाना चाहते हैं, तो आपको हर महीने लगभग 9,917 रुपए की EMI देनी होगी।

लेकिन अगर आप लोन की अवधि बढ़ाकर 30 साल कर देते हैं, तो आपकी EMI घटकर लगभग 9,073 रुपए रह जाएगी। हालांकि लंबी अवधि में आपको कुल ब्याज अधिक देना होगा। इसलिए लोन की अवधि तय करते समय अपनी वित्तीय स्थिति और लक्ष्यों को ध्यान में रखना जरूरी है।

होम लोन के लिए आवश्यक दस्तावेज

होम लोन के लिए आवेदन करते समय कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इन दस्तावेजों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-

  • पहचान संबंधी दस्तावेज – इस श्रेणी में आधार कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र आदि शामिल होते हैं, जिनके माध्यम से आपकी पहचान और पता सत्यापित किया जाता है.
  • आय संबंधी दस्तावेज – इसमें वेतन पर्ची, आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट आदि शामिल होते हैं, जिनके आधार पर आपकी आय का पता लगाया जाता है और लोन की राशि निर्धारित की जाती है।
  • संपत्ति संबंधी दस्तावेज – इसमें प्रॉपर्टी का सेल्स एग्रीमेंट, स्वामित्व दस्तावेज आदि शामिल होते हैं, जिनके आधार पर संपत्ति की वैधता और मूल्यांकन किया जाता है। इन दस्तावेजों के आधार पर लेंडर आपकी लोन आवेदन को मंजूरी देने या अस्वीकार करने का निर्णय लेता है।

जब आप होम लोन लेते हैं तो आपके मूल दस्तावेज जैसे कि संपत्ति का स्वामित्व पत्र, खरीद एग्रीमेंट और भुगतान की रसीदें, बैंक के पास गिरवी रख दी जाती हैं। यह इसलिए किया जाता है ताकि बैंक को यह सुनिश्चित हो सके कि आपने जो संपत्ति लोन पर ली है वह वास्तव में आपके नाम पर है। यह बहुत जरूरी है कि बैंक आपके इन दस्तावेजों को सुरक्षित रखें और जब आपको इनकी आवश्यकता हो तो आपको आसानी से वापस कर दें।

इंश्योरेंस कवर

कभी भी हमें अपने होम लोन के बराबर की बीमा राशि वाला टर्म इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए। इससे मृत्यु होने पर आपके परिवार पर लोन का बोझ नहीं रहेगा क्योंकि बीमा कंपनी लोन चुका देगी। एक अच्छा होम लोन बीमा पॉलिसी लें. कई बैंक लोन देते समय बीमा लेने की सलाह भी देते है. यह एक सुरक्षा कवच की तरह है जो आपके परिवार को आर्थिक संकट से बचा सकता है।

किश्तों का भुगतान न होने के परिणाम

होम लोन की किश्तों का समय पर भुगतान करना बेहद महत्वपूर्ण है। यदि आप लगातार तीन या उससे अधिक महीनों तक किश्त नहीं चुका पाते हैं, तो बैंक आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है। SARFAESI अधिनियम के तहत, बैंक को अदालत जाने की ज़रूरत नहीं होती है और वह सीधे आपकी संपत्ति पर कार्रवाई कर सकता है। अगर आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको तुरंत अपने बैंक से संपर्क करना चाहिए और समाधान के लिए बात करनी चाहिए। हो सकता है कि बैंक आपके लोन की अवधि बढ़ाने पर विचार करे।

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